14:42 02/06/2020: By Shailesh Bhatt:
5 जून विश्व पर्यावरण दिवस है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का एक अनुमान है कि वायु प्रदूषण के चलते हर साल करीब 70 लाख मौतें होती हैं।
अमेरिका में 90 प्रतिशत मौत उन शहरों में हुई जहां वायु प्रदूषण अधिक है। इटली में हुए इस तरह के शोध में यह बात सामने आई है कि जिन जगहों पर वायु प्रदूषण अधिक है वहां कोरोना के चलते होने वाली मौतों में इजाफा हुआ है।
अकेले वायु प्रदूषण के कारण ही भारत में प्रतिवर्ष 10 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है।
देश भर में लाॅकडाउन के कारण जो पर्यावरण और हवा साफ हुई है देखने वाली बात होगी कितने दिनों तक यह साफ रहती है। नासा की हाल ही की एक रिपोर्ट बताती कि उत्तर भारत में वायु प्रदूषण पिछले 20 साल में सबसे कम हो गया है।
दिल्ली में नुकसानदेह छोटे कणों यानी पार्टिकुलेट मैटर यानी पीएम 2.5 का स्तर लॉकडाउन लागू होने के बाद काफी गिरा, 20 मार्च को दिल्ली की हवा में पीएम 2.5 की मात्रा 91 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (mg/m3) थी, जो 27 मार्च को घटकर 26 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (mg/m3) रह गई।
देश की 40 फीसदी आबादी गंगा नदी पर निर्भर करती है। गंगा को साफ करने के लिए 20 हजार करोड़ रुपये के बजट प्रावधान से 'नमामि गंगे' प्रोजेक्ट शुरू किया गया। देश में पिछले 60 दिनों से लगे लॉकडाउन ने जिस तरह से गंगा को साफ किया है उसकी लागत 20 हजार करोड़ रुपये से भी कहीं ऊपर बनती है।
सहमति इस बात पर भी बननी चाहिए कि लोग निजी वाहनों का सयुंक्त उपयोग करें। सार्वजनिक साधनों की उपलब्धता सुनिश्चित होनी चाहिए। निजी और सरकारी निवेश को हरित प्रोजेक्ट की ओर बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
हमें इस बात को भी नहीं भूलना चाहिए कि हमारे देश में कोरोना से भी खतरनाक है प्रदूषित वातावरण कोरोना देर सवेर अच्छे-बुरे अनुभव दे कर चला जाएगा लेकिन उसके बाद हम पर निर्भर करता है कि हम इससे क्या सीख लेते हैं।
5 जून विश्व पर्यावरण दिवस है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का एक अनुमान है कि वायु प्रदूषण के चलते हर साल करीब 70 लाख मौतें होती हैं।
अमेरिका में 90 प्रतिशत मौत उन शहरों में हुई जहां वायु प्रदूषण अधिक है। इटली में हुए इस तरह के शोध में यह बात सामने आई है कि जिन जगहों पर वायु प्रदूषण अधिक है वहां कोरोना के चलते होने वाली मौतों में इजाफा हुआ है।
अकेले वायु प्रदूषण के कारण ही भारत में प्रतिवर्ष 10 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है।
देश भर में लाॅकडाउन के कारण जो पर्यावरण और हवा साफ हुई है देखने वाली बात होगी कितने दिनों तक यह साफ रहती है। नासा की हाल ही की एक रिपोर्ट बताती कि उत्तर भारत में वायु प्रदूषण पिछले 20 साल में सबसे कम हो गया है।
दिल्ली में नुकसानदेह छोटे कणों यानी पार्टिकुलेट मैटर यानी पीएम 2.5 का स्तर लॉकडाउन लागू होने के बाद काफी गिरा, 20 मार्च को दिल्ली की हवा में पीएम 2.5 की मात्रा 91 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (mg/m3) थी, जो 27 मार्च को घटकर 26 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (mg/m3) रह गई।
देश की 40 फीसदी आबादी गंगा नदी पर निर्भर करती है। गंगा को साफ करने के लिए 20 हजार करोड़ रुपये के बजट प्रावधान से 'नमामि गंगे' प्रोजेक्ट शुरू किया गया। देश में पिछले 60 दिनों से लगे लॉकडाउन ने जिस तरह से गंगा को साफ किया है उसकी लागत 20 हजार करोड़ रुपये से भी कहीं ऊपर बनती है।
सहमति इस बात पर भी बननी चाहिए कि लोग निजी वाहनों का सयुंक्त उपयोग करें। सार्वजनिक साधनों की उपलब्धता सुनिश्चित होनी चाहिए। निजी और सरकारी निवेश को हरित प्रोजेक्ट की ओर बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
हमें इस बात को भी नहीं भूलना चाहिए कि हमारे देश में कोरोना से भी खतरनाक है प्रदूषित वातावरण कोरोना देर सवेर अच्छे-बुरे अनुभव दे कर चला जाएगा लेकिन उसके बाद हम पर निर्भर करता है कि हम इससे क्या सीख लेते हैं।
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