इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने टैक्स के नए विकल्प का चयन करने वालों की समस्याओं के समाधान के लिए स्पष्टीकरण जारी कर दिया है। कम दरों वाला टैक्स का नया विकल्प बजट 2020 में पेश किया गया था, जो 1 अप्रैल, 2020 से लागू हो गया है। टैक्स का पुराना विकल्प भी बरकरार रहेगा, जिससे टैक्सपेयर्स अपनी मर्जी से दोनों में से किसी एक का चयन कर सकते हैं।
टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि टैक्सपेयर्स को टैक्स के नए या पुराने विकल्प में से किसका चयन करना चाहिए यह इस बात पर निर्भर करता है कि कैलकुलेशन के बाद उन्हें किस विकल्प में ज्यादा टैक्स बच रहा है।
आयकर विभाग का स्पष्टीकरण
1. जिन एंप्लॉयी का बिजनस या किसी प्रफेशन से इनकम नहीं होता है, उन्हें सैलरी से टीडीएस कटौती को लेकर अपने एंप्लॉयर को टैक्स के नए विकल्प के चयन के बारे में जानकारी पहले दे देनी होगी।
2. अगर कोई एंप्लॉयी टैक्स का नया विकल्प नहीं चुन रहा है तो उसे पहले की ही तरह पुराने टैक्स सिस्टम के तहत टैक्स देना होगा।
3. अगर एंप्लायी टीडीएस कटौती को लेकर अपने एंप्लॉयर को टैक्स के नए सिस्टम को चुनने की जानकारी दे देता है, तो वह एक साल तक पुराने सिस्टम को नहीं अपना सकता है।
4. हालांकि, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कहा है कि कर्मचारी इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते वक्त टैक्स के नए या पुराने दोनों सिस्टम्स में से किसी एक का चयन कर सकता है और इसी के आधार पर उनका टीडीएस कटेगा। इस तरह यह स्पष्ट है कि अगर आप टीडीएस कटौती के लिए अपने एंप्लॉयर को टैक्स के नए सिस्टम को अपनाने की जानकारी देते हैं तो आप रिटर्न भरते वक्त अपना फैसला बदल सकते हैं और टैक्स का पुराना सिस्टम अपना सकते हैं।
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